Monday, January 23, 2012

नया पथ का अक्टूबर-दिसंबर 2011 का अंक प्रकाशित

इस अंक का अनुक्रम हम यहां दे रहे हैं। पाठको व एजेंटों से अनुरोध है कि अपना आदेश जल्द ही हमें भेजें, सीमित प्रतियां उपलब्ध हैं:
एक प्रति की सहयोग राशि: साठ रूपये, डाकखर्च 32 रूपये अतिरिक्त
संपर्क: नया पथ, 42 अशोक रोड नयी दिल्ली-110001, फोन.011-23738015, ईमेल:
: jlscentre @ yahoo.com

अनुक्रम

तीन सौ रामायणें : विशेष सामग्री
तीन सौ रामायणें : पांच उदाहरण और अनुवाद पर तीन विचार :
ए. के. रामानुजन / 5
रामानुजन का आलेख : सांस्कृतिक अनुशीलन की सर्वसमावेशी प्रविधि​ का अनूठा दस्तावेज़ : मुरली मनोहर प्रसाद सिंह / 32
रामायण की समृद्धि, विश्वविद्यालय की निर्धनता
: रोमिला थापर से साक्षात्कार / 36
कविताएं
आशा : विजेंद्र / 42
तीन कविताएं : निर्मला गर्ग / 43
तीन कविताएं : शंभु यादव / 46
कहानियां
बिजूखा : राधाकृष्ण सहाय / 49
ज़हर : हसन जमाल / 54
यात्रा : चरण सिंह पथिक / 60
जो है सो : सूर्यनाथ सिंह / 71
ये दाग़-दाग़ उजाला... : कैलाश बनवासी / 85
सिलवर लेक : मुकेश नौटियाल / 96
मैकाले का जिन्न : दिनेश कर्नाटक / 99
धनतेरस : टेकचंद / 111
कोई है : रिज़वानुल हक़ / 118
लादेन ओझा की हसरतें : प्रवीण कुमार / 127
लंबी कहानियां
पथभ्रष्ट : अनिता भारती / 140
गिलोटीन : विपिन कुमार शर्मा / 166
अन्य भारतीय भाषाओं की कहानियां
आस्था (उर्दू) : मुजीर अहमद आज़ाद / 184
मोमिनवाला का सफ़र (उर्दू) : अली अकबर नातिक़ / 188
मैना भाभी (पंजाबी) : सुकीरत / 193
खाली शीशियां (तेलुगु) : स्मैल / 201
डेड लाइन (मलयालम) : ई. पी. श्रीकुमार / 208
कथा-आलोचना
कथा-विमर्श के समकालीन संदर्भ : अरविंद कुमार / 215
यह बयान किसका है? : विभास वर्मा / 223
आज की कहानी में गांव और किसान : मोती लाल / 227
सभ्यता बर्बर, बेबस ‘बसेरा’ : प्रवीण कुमार / 232
स्मृति-शेष
श्रीलाल शुक्ल : नयी उद्भावनाओं के प्रवत्‍र्तक : मुरली मनोहर प्रसाद सिंह / 235
दोहरा अभिशाप की याद : बजरंग बिहारी तिवारी / 237
अदम गोंडवी के जाने का मतलब : कांतिमोहन सोज़ / 240
अप्रकाशित कुबेरदत्त : कृष्ण कल्पित / 244

Monday, January 16, 2012

जयपुर लिटरेरी फेस्ट में सलमान रुश्दी

प्रेस विज्ञप्ति

जयपुर लिटरेरी फेस्ट में सलमान रुश्दी के आने पर रोक लगाने की मांग के विषय में जनवादी लेखक संघ का मानना है कि किसी भी व्यक्ति के भारत में आने या न आने का मामला देश में बनाये गये नियम कानूनों के अंतर्गत ही वैध या अवैध होता है, उन्हीं नियम कानूनों के अंतर्गत सलमान रुश्दी पहले भी भारत आ चुके हैं, हम उन नियम कानूनों से पर किसी तरह की अनुमति या रोक के पक्षधर नहीं हैं। सलमान रुश्दी के लेखन को ले कर हम आलोचनात्मक रहे हैं और आज भी हैं, मगर किसी भी व्यक्ति के दुनिया के किसी भी देश में आने जाने के बारे में उस देश के नियम कानून के अंर्तगत फैसला होता है, हम उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते और न ही हमें एक जिम्मेदार संगठन के रूप में करना ही चाहिए।


मुरली मनोहर प्रसार सिंह, महासचिव
चंचल चौहान, महासचिव