Wednesday, December 30, 2009

नया पथ का नया अंक

पहले की ही तरह हम नया पथ के नये अंक का अनुक्रम यहां दे रहे हैं । यह अंक भारतीय चित्रकला पर केंद्रित है । हमारे पाठक इसकी प्रति सुरक्षित करवा लें, इसके लिए पचास रुपये अंक का मूल्‍य और तीस रुपये डाकखर्च जलेस के केंद्रीय कार्यालय, 42 अशोक रोड, नयी दिल्‍ली-110001 पर भेजें ।


अनुक्रम
संपादकीय
/ 3
व़ैचारिकी

वह मनुष्य जिसने खुशियों को चित्रित किया (रेनुआ के चित्रों से गुज़रते हुए) : अनातोली लूनाचार्स्‍की / 9
पुनरुत्पादन के युग में कलाकृति : वॉल्टर बेन्जामिन / 14
कला इतिहास
भारतीय चित्रकला : प्रेमचंद / 39
देवी की कला–उपासना (लिंग और राष्ट्र, भारती से भारत माता) : गायत्री सिन्हा / 44
कला में औरत का वजूद : भाऊ समर्थ / 52
फि़ल्मी पोस्टरों की लोकप्रिय कला (1950 के दशक की फि़ल्मों के विशेष संदर्भ में) : जवरीमल्ल पारख / 57
आधुनिक भारतीय कला पुरावृत्त :
मृणाल कुलकर्णी / 65
विरासत
मास्टर मोशाय : के. बिक्रम सिंह / 71
जामिनी राय : एस.वी. रामा राव / 75
मक़बूल फि़दा हुसेन
कला की राजनीति : जी.पी. देशपांडे / 82
विभिन्न कालखंडों का बहुआयामी कोलाज : हुसेन की आत्मकथा पर कुछ नोट्स : राजेश जोशी / 86
रजा : एक शब्दचित्र : नीलेश रघुवंशी / 90
प्रतिरोा की कला और कमरुल हसन : अशोक भौमिक / 93
सामयिकी
प्रतिमानों का बिखराव : गीता कपूर / 101
भारत उतना ही समकालीन है जितना पश्चिम : सुनीत चोपड़ा / 108
पुरातनता और आधुनिकता (एक चित्रकार की नोट बुक) : प्रमोद गणपत्ये / 112
कला और लोकतंत्र : देवीलाल पाटीदार / 115
कला का बाज़ार : मनोज कुलकर्णी / 118
समकालीन भारतीय चित्रकला का युवा चेहरा : जॉनी एम.एल. / 122
बोस कृष्णमाचारी : प्रेत : एक अतिक्रमित सौंदर्यबोध / 122
चिंतन उपाध्याय : ‘नव भारतीय’ और उनके खेल / 126
टी. वी. संतोष : ‘प्रार्थना के लिए एक कक्ष’ : मृत्यु और इच्छा का प्रदर्शन / 131
आर्किटेक्चर की कला
कोई ज़मीन बंजर नहीं होती : वत्सला ड कूना / 135
संस्मरण
कला के जनचितेरे : रामप्रकाश / 147
प्रसंग
आज का चित्रकार और उसकी कला : एस.वी. रामा राव / 155
चित्रकला पर कुछ कविताएं
हिरणों का शिकार करती स्त्रियां (अवा का एक पुराना मिनिएचर देखकर) : विनोद भारद्वाज / 163
राम कुमार के लैंडस्केप में रहना है : नवीन सागर / 166
वो दीवार : कविता : नाजि़म हिकमत (चित्रा : मॉरीन स्कॉट) / 168
इस अंक के लेखक / 172
कला वीथिका

Thursday, August 13, 2009

चरनदास चोर पर प्रतिबंध की भर्त्‍सना

छत्‍तीसगढ की भाजपा सरकार ने मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर की नाट्रयरचना चरनदास चोर पर पिछले दिनों प्रतिबंध लगा दिया । जनवादी लेखक संघ ने इस फासीवादी कदम की निंदा की । यहां हम उस प्रेस विज्ञप्ति को दे रहे हैं -
प्रेस विज्ञप्ति
जनवादी लेखक संघ छत्‍तीसगढ की राज्‍य सरकार के द्वारा मशहूर रंगकर्मी मरहूम हबीब तनवीर के नाटक चरनदास चोर पर लगाये गये प्रतिबंध की कडे शब्‍दों में निंदा करता है । आर एस एस की फासीवादी विचारधारा से संचालित सरकार से और क्‍या उम्‍मीद की जा सकती है् ।
यह नाटक एक राजस्‍थानी लोककथा पर आधारित है जिसे पहले विजयदान देथा ने अपनी एक रचना में इस्‍तेमाल किया था । हबीब साहब ने उसे छत्तीसगढी भाषा, संस्कृति, लोक नाट्य और संगीत परंपरा के अनुकूल ढाल कर एक ऐसा नाटक रच दिया जिस आज एक समकालीन क्लासिक की संज्ञा दी जा सकती है। चरनदास का एक ही कसूर है कि वह अपने गुरु को दिये बचन का पालन करता है कि वह कभी झ्‍ूठ नहीं बोलेगा । आर एस एस की विचारधारा भला सत्‍य का पक्ष कैसे बरदाश्‍त कर सकती है। शायद इसीलिए प्रतिबंध लगाने की जरूरत आ गयी । सब जानते हैं कि यह नाटक एक लोककथा पर आधारित है जो 1974 में पहली बार खेला गया । तब से अब तक इस नाटक की न जाने कितनी भाषाओं में और, देश और विदेश में प्रस्‍तुतियां हुईं। 1975 में श्याम बेनेगल ने इस पर फिल्म भी बनायी। सभी जगह इस नाटक को सराहना मिली । लगता है कि आम जनता को धार्मिक और जातिगत आधार पर लडवाने के मकसद से ही संघ-भाजपा ने यह चाल चली है। वरना क्‍या वजह हो सकती है कि सतनामी संप्रदाय ने या खुद संघियों ने इस नाटक पर 2004 से पहले कोई आपत्ति क्‍यों नहीं उठायी थी, जबकि नाटक 1974 से खेला जा रहा था और बहुधा इसके अभिनेता भी सतनामी संप्रदाय से आते थे।
हबीब साहब के नाटकों पर संघ-भाजपा गिरोह समय समय पर हमले बोलते ही रहे है। अपने जीते जी उन्होंने इन हमलों का हर जगह बहादुरी से सामना किया था। यह किसी से छिपा नहीं है कि वे आर एस एस के संकीर्ण फासीवादी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के खिलाफ रचनात्‍मक स्‍तर पर संघर्ष करते रहे थे। इसलिए चरनदास चोर पर प्रतिबंध भाजपा सरकारों की फासीवादी सांप्रदायिक मुहिम का ही एक हिस्सा है जिसके लिए सतनामी संप्रदाय की आड ली गयी है । जनवादी लेखक संघ किसी भी कलात्‍मक और रचनात्‍मक अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करता रहा है और इसीलिए तमाम लोकतांत्रिक और प्रगतिशील ताकतों के साथ एकजुटता बनाते हुए हबीब तनवीर के नाटक चरनदास चोर पर प्रतिबंध की भर्त्‍सना करता है ।

(मुरलीमनोहरप्रसाद सिंह) (चंचल चौहान)
महासचिव महासचिव
मोबाइल नं. 09212644978 मोबाइल नं. 09811119391

Wednesday, August 5, 2009

हिंदी अकादमी दिल्‍ली पर विवाद

इधर हिंदी अकादमी दिल्‍ली राजधानी क्षेत्र को लेकर तरह तरह के विवाद अखबारों और ब्‍लाग पर प्रकाशित हो रहे हैं । लेखकों में भी आपस में विभेद और शायद वैमनस्‍य की भावना भी पैदा की जा रही है । यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है । इसे ले कर जनवादी लेखक संघ ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की । उसे हम यहां प्रस्‍तुत कर रहे हैं ।
प्रेस विज्ञप्ति
​जनवादी लेखक संघ हिंदी अकादमी, दिल्ली को लेकर उठे विवाद पर अपना गहरा क्षोभ व्यक्त करता है। हिंदी अकादमी की संचालन समिति ने हिंदी के वरिष्‍ठ और सम्माननीय साहित्यकार श्री कृष्‍ण बलदेव वैद को शलाका सम्मान देने का जो निर्णय लिया, उसको राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप द्वारा निरस्त कराने की कोशिशों की ज.ले.स. घोर भर्त्‍सना करता है। ऎसे वरिष्‍ठ साहित्यकार को अवांछित विवादों में घसीटा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह की स्थितियां इसलिए पैदा होती हैं कि हिंदी अकादमी का गठन जिन उद्देश्‍यों को लेकर किया गया, उनमें से अधिकांश को दरकिनार कर दिया गया है। जनवादी लेखक संघ लंबे समय से यह मांग करता रहा है कि हिंदी अकादमी का गठन और संचालन लोकतांत्रिक ढंग से किया जाना चाहिए। ऐसा न हो पाने के कारण ही अकादमी में राजनीतिक एवं प्रशासनिक दख़लंदाज़ी की गुंजाइश पैदा होती है।
जनवादी लेखक संघ दिल्ली सरकार से यह मांग करता है कि (1) कृष्‍ण बलदेव वैद को शलाका सम्मान दिये जाने के संचालन समिति के फ़ैसले का सम्मान करते हुए हिंदी अकादमी, दिल्ली उसकी घोषणा करे;(2) हिंदी अकादमी के कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप को रोकने की दिशा में सरकार आवश्‍यक क़दम उठाये।
(मुरलीमनोहरप्रसाद सिंह) (चंचल चौहान)
महासचिव महासचिव

Tuesday, July 21, 2009

नया पथ का नया अंक - अप्रैल जून 2009

नया पथ का संपादकीय कार्यालय खाली करना पडा, इसलिए अंक के छपने में देरी हो गयी । अब अंक प्रकाशित हो कर सभी जगह भेजा जा चुका है । पाठकों से अनुरोध है कि पत्र व्‍यवहार के लिए मेरा आवासीय पता अभी इस्‍तेमाल करें, पुराने पते पर न लिखें और न ही कोई राशि भेजें । पता इस प्रकार है - 173 कादंबरी, सेक्‍टर 9, रोहिणी, दिल्‍ली- 110085

पहले अंकों की ही तरह यहां नये अंक का अनुक्रम दिया जा रहा है जिससे पाठकों को सामग्री का अंदाज लग जाये ।


अनुक्रम
संपादकीय / 3
धरोहर
पिता के नाम तरुण मार्क्‍स का पत्र​
हिंदी अनुवाद : राजीव / 9
युवक : भगत सिंह / 13
अदम्य जीवन : रांगेय राघव / 16
आलेख
चार्ल्‍स डार्विन को याद करते हुए : विजयश्री /25
गणितज्ञ एवारिस गेल्वा : हैरतनाक जिंदगी और मौत की कहानी : दिनेश सिंह / 35
एनरिको फेर्मि : जो बचा न सका बम का दुरुपयोग : पंकज चतुर्वेदी / 41
फ्रैंक रैमसे : एक महान युवा गणितज्ञ : धीरंजन मालवे / 43
अमृता शेरगिल : निर्झर बहता जीवन : वैभव सिंह / 48
‘एकरसता’ को तोड़ने और ‘बेकली’ को बढ़ाने वाले देवीशंकर अवस्थी : मुरली मनोहर प्रसाद सिंह / 58
अब गंगा नदी में चंद्रमा नहीं तैरता (राजकमल चौधरी पर एक पुनर्दृष्टि) : देवशंकर नवीन /63
भारतीय दलित लेखन : मौजूदा परिदृश्य : बजरंग बिहारी तिवारी /71
अवलोकन : आठवें दशक के युवास्वर
दो कविताएं : आलोकधन्वा
जनता का आदमी / 77
गोली दागो पोस्टर / 82
दो कविताएं : मंगलेश डबराल
तानाशाह कहता है / 85
अत्याचारियों की थकान / 86
तीन कविताएं : मनमोहन
आ राजा का बाजा बजा / 87
सूर्योदय / 89
जनरल फ्रैंको / 90
बहनें : असद ज़ैदी / 91
दो कविताएं : राजेश जोशी
चमत्कारिक चाकू /94
उन्होंने रंग उठाये /95
आग की गरज : नंद भारद्वाज / 96
नयी राहों के अन्वेषी
वेरिफि़केशन: यशोदा सिंह /101
रसूल भाई, यहां कैसे? : शमशेर अली / 106
ज़रूरतों की परछांइयां : लख्मी चंद कोहली / 111
आज के युवा कहानीकार
जोया: आकि़ल जि़याद / 115
उत्तर कथा : अजय नावरिया / 130
मृत्यु उत्सव : राजीव कुमार / 143

युवा चित्रकार विश्वजीत दास / 158

Tuesday, March 10, 2009

नया पथ का नया अंक

नया पथ का जनवरी मार्च अंक अब उपलब्‍ध है । इस अंक में दुनिया भर के ऐसे युवा प्रतिभाशाली व्‍यक्तित्‍वों पर सामग्री दी गयी है जो अपनी युवा अवस्‍था में ही समाज के लिए किसी न किसी ज्ञानक्षेत्र में कुछ बडा योगदान कर गये । यहां हम उसका अनुक्रम दे रहे हैं ।

अनुक्रम
संपादकीय : युवाओं के लिए / 3
क्यूबाई क्रांति के पचास साल
क्रांति की प्रासंगिकता : डायना राबी (अनु- जवरीमल्ल पारख) / 13
जन–जन का चेहरा एक : गजानन माधव मुक्तिबोध / 24 क्यूबा के कवि अंतोनियो गेर्रेरो की दो कविताएं / 26
तेरह (अनु- असद ज़ैदी) / 26
साथ चलो (अनु- असग़र वजाहत) / 26
मंथन : एक नयी दुनिया संभव है
गोगोल को पत्र : विस्सारियन ग्रिगोरियेविच बेलिंस्की (अनु- नरोत्तम नागर) / 32
युवा मार्क्‍स : राजीव / 40
आलोचना में हमारे मतभेद : निकोलाई अलेक्जान्द्रोविच दोब्रोल्युबोव (अनु- नरोत्तम नागर) / 46 होरेस ग्रीले / चाल्र्स डाना : अरविंद कुमार मिश्र / 49
क्रिस्टोफ़र काडवेल : एक प्रेरक मार्क्‍सवादी युवा चिंतक : चंचल चौहान / 56
राल्फ़ फ़ाक्स: मार्क्‍सवाद का सौम्य और प्रेरणादायी चेहरा : आनंद प्रकाश / 61
तोड़ो, तोड़ो कारा तोडो
डेरोजिओ और यंग बंगाल आंदोलन : वैभव सिंह / 67
युवा विद्रोही विवेकानंद : देवीप्रसाद मौर्य / 79
शहीद भगतसिंह के ऐतिहासिक बयान / 84
हमारी श़्रंखला की कडि़यां : महादेवी वर्मा / 92
सफ़दर की शहादत के अर्थ : राजेंद्र शर्मा / 98
साहित्य, कला और विज्ञान : युवा कीर्तिमान
वॉन गॉग : तवरेज़ अंसारी / 105
हेनरिक़ रुडॉल्फ़ हर्टज : सुभाष कुमार / 110
एमिली ब्रांटे : नलिन विकास / 112
बोल्शेविक क्रांति के दर्पण : सर्गेइ एम आईसेंस्टिन : जवरीमल्ल पारख / 114
मुक्ति का महाख्यान और सुकांत : सुधा सिंह / 118
लोहे के स्वाद की कविता : धूमिल की याद : दिनेश कुमार शुक्ल / 137
हसन जाफ़री : वक़ार सिद्दीक़ी / 143
विज्ञान के क्षेत्र में युवाशक्ति : विजयश्री / 146
आज के युवा कव‍ि
दस्तंबो वाले ग़ालिब से : मंजरी श्रीवास्तव / 157
तीन कविताएं : प्रकाश
हारता हुआ रंग / 159
फिर कफ़न / 161
पूस की रात के बाद / 163
पांच कविताएं : उमाशंकर चौधरी
हंसी के विषय / 166
सचमुच / 166
डर लगता है उस औरत के विश्वास से / 166
नज़रिया / 168
संघर्ष पिता की ख्‍वाहिश से भी है / 168
पांच कविताएं : निशांत
एक कवि / १७१
एक कविता / १७२
एक कवि को / १७२
प्रेम में : एक / १७३
प्रेम में : दो / १७४
दो कविताएं : अच्युतानंद मिश्र
आदमी चुप है / 176
रात / 178
दो कविताएं : मनोज कुमार झा
धान / 181
दुविधा /181
चार कविताएं : राहुल झा
त्रिलोचन के प्रति... / 183
क्योंकि वे जाग रहे हैं... / 183
डायरी / 184
जब तक... / 184

एजेंट साथियों से अनुरोध है कि वे अपनी प्रतियों के आदेश भेजें । पाठक एक प्रति के लिए 30 रुपये के अलावा 19 रु साधारण डाकखर्च के लिए और रज‍ि के लिए रज‍ि का पैसा भी भेजें : पता है :
नया पथ : 8 विठठलभाई पटेल हाउस, रफी मार्ग, नयी दिल्ली-110001